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कविता

क्या आप ओ एल एक्स पर कविताएँ बेच सकती हैं

लीना मल्होत्रा राव


वह ओ एल एक्स से बोल रही थी
उसने कहा
ओ एल एक्स बहुत फायदे की चीज है
और आप
इस पर
अपनी कोई भी पुरानी चीज बेच सकते हैं
जैसे जूते, कपड़े, फर्नीचर, कंप्यूटर या कोई शो पीस
बिना विराम लिए पूछा उसने
क्या बेचना चाहेंगे कुछ आप ?

मैंने कहा
जो चीज मेरे लिए बेकार हो चुकी है
उसे भला कोई और क्यों खरीदना चाहेगा ?

उसने बाजार का नियम समझाते हुए कहा
सबकी आवश्यकताएँ भिन्न हैं
और उसे खरीद पाने की सामर्थ्य भी
क्या आपके पास कोई पुरानी चीज है

मेरे पास पुरानी चीजें तो बहुत थीं
किंतु वह इतनी पुरानी थी कि मैं उन्हें इस दुनिया से छिपाना चाहता था दिखाना नहीं

उसके पुनः आग्रह करने पर
मैंने कहा मेरे पास एक कोट है
उसकी आवाज मेरे दो कदम निकट खिसक आई
और बोली
आप उसके फायदे गिनवा सकते हैं?
जैसे आपका पुराना कोट बिलकुल नया लगता है
वह फलाँ भेड़ की ऊन से बना है
या वह स्पेन से आयात होकर आया है
वगैरह वगैरह
बताइए मैं क्या लिखूँ

मैं सच के अलावा क्या बताता
मैंने कहा
मेरे कोट की जेब में एक छेद है
जिससे मेरे भीतर के सर्द लम्हे पिघल कर
बह जाते हैं और किसी को पता नहीं लगता

इसका रंग
थोड़ा फेड हो चुका है
पर अपनी इस नालायकी के बावजूद
यह कोट पहाड़ पर जाने से नहीं डरता
और इसे पहन कर मैं शिमला घूम कर आ सकता हूँ

वह असमंजस में थी
उसकी आवाज भी छिटक कर दूर जा बैठी
फिर भी उसने साहस करके पूछा

कोई और सामान ?
कोई फर्नीचर ?

मैंने देखा मेरी मेज मेरे सामने पड़ी थी

मैंने कहा हाँ एक पुरानी मेज है
इस निर्मम समय में
जबकि इनसान बेदम दिशाहीन चहुँ और भाग रहा है
यह
अपनी चार टाँगों पर
पिछले कई वर्षों से यूँ ही खड़ी है
गति के सिद्धांत को अपनी अडिगता से विस्तार देती हुई
अपने मौन श्रम से मेरे जीवन की निरर्थकता को
पश्चाताप से उबारती हुई

यदि मैं इसे कुछ समय तक देखता रहूँ
तो यह मेज
मेरे भीतर मेरे होने का एक विश्वास पैदा कर सकती है

और अब मैं
इसे बेचना भूल कर
अभी
अपनी कोई अधूरी कविता पूरी करना चाहता हूँ

उसकी डूबती विस्फारित ध्वनि ने पूछा
तो क्या आप एक कवि हैं
मैंने कहा हाँ
क्या आप ओ एल एक्स पर कविताएँ बेच सकती हैं ?


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